॥ श्री रघुवंशम् ॥
॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’॥
☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग #13 (66 – 70) ॥ ☆
सर्गः-13
गुरू वशिष्ठ को अग्रकर मंत्रिसेन ले साथ।
वल्कल धारे चल भरत अर्ध्य लिये हैं हाथ।।66।।
पिता की दी हुई राज्य श्री का भी न कर उपभोग।
वर्षों रहते साथ में भरत ने साधा जोग।।67।।
ऐसा कहते राम की मनवांछा अनुसार।
नभ से उतरा यान सब विस्मित रहे निहार।।68।।
मार्ग विभीषण प्रदर्शित सुग्रीव का कर थाम।
स्फटिक सीढ़ी में चरण रख नीचे उतरे राम।।69।।
गुरू वश्रिष्ठ की वन्दना कर स्वागत स्वीकार।
सजल नयन भ्राता भरत को किया अंगीकार।।70।।
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈