॥ श्री रघुवंशम् ॥

॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग #14 (16 – 20) ॥ ☆

रघुवंश सर्ग : -14

सुखद सत्य-व्रत से पिता जो न कभी गये दूर।

माँ कैकेयी उसमें तेरा ही था योग भरपूर।।16अ।।

 

यों कह माता के हृदय का हर सकल विषाद।

हाथ जोड़ नत राम ने पाया आशीर्वाद।।16ब।।

 

तब सुग्रीव विभीषण आदि को दे उपहार।

उनकी इच्छा सिद्धि हित किया उचित सत्कार।।17।।

 

अगस्तादि मुनि आये थे, जो अभिनंदन हेतु।

उन्हें पूज उनसे सुना, राम-जन्म का हेतु।।18।।

 

तपस्वियों के गमन पर राम ने कर सत्कार।

विदा किया सबको दिये सीता ने उपहार।।19।।

 

‘पुष्पक’ जो नभ पुष्प सा था कामना विमान।

कहा उसे भी कुबेर प्रति करने को प्रस्थान।।20।।

 

© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’   

A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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