॥ श्री रघुवंशम् ॥

॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग #14 (26 – 30) ॥ ☆

रघुवंश सर्ग : -14

 

दिन बीते, निखरे नयन, मुख छवि हुई कुछ पीत।

गर्भलक्षिणी सिया प्रति और बढ़ी पति-प्रीति।।26।।

 

तन्वी कृष्ण पयोधरा सीता को ले राम।

लगे पूछने रहसि में इच्छा समित ललाम।।27।।

 

सीता ने तब की प्रकट ऋषि-आश्रम की चाह।

लखने फिर नीवार, मुनि-कन्या, सरित-प्रवाह।।28।।

 

करने इच्छा पूर्ति का आश्वसन दे राम।

लगे निरखने नगर-छवि, साकेत की अभिराम।।29।।

 

मुझे मुदित यह देख सब मार्ग, विपणि, और लोग।

सरयू जल में नहाते स्वस्थ, समृद्ध निरोग।।30।।

 

© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’   

A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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