प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे
☆ “संत कबीर पर दोहे…” ☆ प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे ☆
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सद्गुरु प्रखर कबीर थे, दे जग को आलोक।
परे किया अज्ञान का, फैला था जो शोक।।
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ऊँचनीच के भेद को, किया सभी से दूर।
हे!कबीर गुरुदेव तुम, बने जगत के नूर।।
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ढोंग और पाखंड पर, करके सतत प्रहार।
सामाजिक समरूपता, का फैलाया सार।।
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हे!कबीर तुम युगपुरुष, सारे जग की शान।
मानवता का कर सृजन, किया सतत उत्थान।।
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झूठ, कपट को मारकर, हरण किया अविवेक।
ढाई आखर से किए, मानव सारे नेक।।
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सबके हित की बात कर, दिखलाई नव राह।
वैसा हो संसार यह, जस कबीर की चाह।।
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कालजयी थे युगपुरुष, समकालिक आवेश।
थे कबीर आवेग इक, किया नवल यह देश।।
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संत खरे थे, गुरु प्रवर, कबिरा बहुत महान।
युगों-युगों तक सूर्य हे ! , पाओगे तुम मान।।
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जैसे संत कबीर थे, दिखा न अब तक और ।
उनकी बातें चेतना, नव सुधार का दौर।।
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© प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे
प्राचार्य, शासकीय महिला स्नातक महाविद्यालय, मंडला, मप्र -481661
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