श्री राजेन्द्र तिवारी
(ई-अभिव्यक्ति में संस्कारधानी जबलपुर से श्री राजेंद्र तिवारी जी का स्वागत। इंडियन एयरफोर्स में अपनी सेवाएं देने के पश्चात मध्य प्रदेश पुलिस में विभिन्न स्थानों पर थाना प्रभारी के पद पर रहते हुए समाज कल्याण तथा देशभक्ति जनसेवा के कार्य को चरितार्थ किया। कादम्बरी साहित्य सम्मान सहित कई विशेष सम्मान एवं विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मानित, आकाशवाणी और दूरदर्शन द्वारा वार्ताएं प्रसारित। हॉकी में स्पेन के विरुद्ध भारत का प्रतिनिधित्व तथा कई सम्मानित टूर्नामेंट में भाग लिया। सांस्कृतिक और साहित्यिक क्षेत्र में भी लगातार सक्रिय रहा। हम आपकी रचनाएँ समय समय पर अपने पाठकों के साथ साझा करते रहेंगे। आज प्रस्तुत है आपका एक विचारणीय कविता ‘प्रतीक्षा…‘।)
☆ कविता – प्रतीक्षा… ☆ श्री राजेन्द्र तिवारी ☆
तेरी याद में ऐसी खोई,
अपनी सुध बुध मैंने खोई,
आज अपनी डगरिया भुला बैठी,
जीवन लगता प्यारा प्यारा,
तूने क्या ऐसा कर डाला,
आज अपनी नगरिया भुला बैठी,
घर से जैसे ही मैं निकली,
पनघट पर पनिया भरने को,
राह में बैठा था तू सजना,
निंदिया मेरी हरने को,
तूने कंकरिया जो मारी,
गगरी फूट गई बेचारी
आज अपनी गगरिया गंवा बैठी,
आज अपनी डगरिया भुला बैठी,
सजना तेरी याद में खोई,
सुबह शाम ना जानूं,
दुनिया छूटे, जग रूठे पर,
तुझको अपना मानूं
तू अब इन आंखों की ज्योति,
जैसे सीप में रहता मोती,
तुझसे अपनी नजरिया मिला बैठी,
आज अपनी डगरिया भुला बैठी,
द्वार पर बैठी पंथ निहारूं,
पलक बुहारूं अंगना,
हर आहट पर दिल ये सोचे,
आए मेरे सजना,
तू अब इन आंखों का सपना,
तज के लोग लाज को सजना,
तुझको अपना सांवरिया बना बैठी,
आज अपनी डगरिया भुला बैठी.
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© श्री राजेन्द्र तिवारी
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