श्रीमति योगिता चौरसिया ‘प्रेमा’ 

(साहित्यकार श्रीमति योगिता चौरसिया जी की रचनाएँ प्रतिष्ठित समाचार पत्रों/पत्र पत्रिकाओं में विभिन्न विधाओं में सतत प्रकाशित। कई साझा संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित। राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय मंच / संस्थाओं से 150 से अधिक पुरस्कारों / सम्मानों से सम्मानित। साहित्य के साथ ही समाजसेवा में भी सेवारत। हम समय समय पर आपकी रचनाएँ अपने प्रबुद्ध पाठकों से साझा करते रहेंगे।)  

☆ कविता ☆ उड़ान  ☆ श्रीमति योगिता चौरसिया ‘प्रेमा’ ☆

(वाम सवैया)

उड़ान भरें जब भी नभ में पर याद रहे क्षिति छूकर आया ।

हजार जलें जब दीप सदा तम रात घटे तब सुंदर पाया ।।

प्रभास सुदीर्घ सुधीर बने तम धीर धरे उजला घन साया ।

प्रसारित नित्य प्रभाव बना मन  मंदिर शंख सुनाद सुनाया ।।1!!

विनोद विनीत सदैव धरे जग आज सुकाज करे मन सारा ।

सुकांत सुभाष सुभाल रहे हिय देख अमोघ प्रवाहित धारा ।।

जहाँ सदभाव रखें हृद में छल दंभ बिसार कहे मन हारा ।

उड़ान भरें नव शीर्ष चढ़े मग धीरज प्रीति मुकाम सँवारा ।।2!!

© श्रीमति योगिता चौरसिया ‘प्रेमा’

मंडला, मध्यप्रदेश 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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