श्रीमती सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’
(संस्कारधानी जबलपुर की श्रीमति सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’ जी की लघुकथाओं, कविता /गीत का अपना संसार है। । गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर आज प्रस्तुत हैं आपकी विशेष रचना “गुरूदेव श्री गुरू पूर्णिमा…..”। इस सर्वोत्कृष्ट रचना के लिए श्रीमती सिद्धेश्वरी जी को हार्दिक बधाई।)
☆ गुरु पूर्णिमा विशेष – गुरूदेव श्री गुरू पूर्णिमा….. ☆
गुरु विनती रख लेना पास
मुझको बनाना अपना दास
हाथ जोड़ गुरु शीश झुकाऊं
तेरे चरणों पर फूल चढ़ाऊं
मन की मुरादे ऐसी है कुछ
श्रद्धा से गीत आपका गाऊँ
गुरू विनती रख लेना पास
मुझको बनाना अपना दास
सत्य राह पर सदा ही जाऊं
निर्मल मन से सबको निभाऊ
ईर्ष्या द्वेष मन से हटाऊं
परोपकार कर सुख अति पाऊं
गुरु विनती रख लेना पास
मुझको बनाना अपना दास
जब भी किसी के काम आऊं
पूरे मन से आपको ध्याऊँ
हाथ जोड़ गुरु आपको मनाऊं
पल पल रह ना मेरे पास
गुरु विनती रख लेना पास
मुझको बनाना अपना दास
जन्म जन्म में तुझको पाऊं
माता पिता को शीश झुकाऊं
हरि से पहले तुझको ध्याऊं
गुरु को मना हरिहर पा जाऊं
गुरु विनती रख लेना पास
मुझको बनाना अपना दास
जीवन मेरा होगा उज्जवल
ज्ञान का सागर बहेगा पल पल
जीवन नैया पार लगाऊँ
श्रद्धा से मै शीश झुकाऊं
गुरु विनती रख लेना पास
मुझको बनाना अपना दास
© श्रीमति सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’
जबलपुर, मध्य प्रदेश
अच्छी रचना