श्रीमती ज्योति मिश्रा
(संस्कारधानी जबलपुर की श्रीमती ज्योति मिश्रा जी का ई- अभिव्यक्ति में हार्दिक स्वागत है। गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर आज प्रस्तुत हैं आपकी विशेष रचना “गुरु जग में सर्वोपरि”। इस सर्वोत्कृष्ट रचना के लिए श्रीमती ज्योति मिश्रा जी को हार्दिक बधाई।)
☆ गुरु पूर्णिमा विशेष – गुरु जग में सर्वोपरि☆
प्रथम गुरु माता है,जग में
सर्वप्रथम जिनको पाया।
रिश्ते मिले उन्हीं से सब
ममता का एहसास कराया ।।
सकल विश्व दशम दिशा
होता है, गुरु का मान ।
राजा भी आते शरण
तज राज पद, अभिमान ।।
अन्तर्मन जो करे प्रकाशित
जाने सकल जहान ।
बिना गुरु के ज्ञान के
यह तन पशु समान ।।
ज्ञान बुद्धि के है साधक
मानव गुण की खान ।
त्याग दया की मूर्ति
गुरु है सदा महान ।।
गुरु कृपा से सब संभव
गुरु करते कल्याण ।
अरूणि सी गुरु भक्ति नहीं
जो दाव लगा दे प्राण ।।
परम ब्रह्म ने पृथ्वी पर
जब मानव तन पाया
ज्ञान प्राप्त किया गुरुकुल
गुरु चरणों में शीश झुकाया।।
गुरु के बिन भक्ति नही
गुरु करते उत्थान ।
गुरु जग में सर्वोपरि
गुरु बिन नही है ज्ञान ।।
© श्रीमती ज्योति मिश्रा
जबलपुर, मध्य प्रदेश
अच्छी रचना