प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे

☆ गीत – स्वागतम् – 2023 ☆ प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे ☆

नया   भास्कर   द्वारे   आया,  गूँजे   नये    तराने।

किरणों में है नवल ताज़गी, हर पल लगे सुहाने।।

 

मंज़िल अब तो दूर न होगी, बस हमको चलना है।

बहुत हो चुका,अब ना होगा,  हाथ नहीं मलना है।।

नया लक्ष्य अब वरना होगा, कोई नहीं बहाने।

किरणों में है नवल ताज़गी, हर पल लगे सुहाने।।

 

गहन तिमिर अब तो हारेगा, उजियारे का वंदन।

विजयघोष गूँजेगा अब तो, माथे सबके चंदन।।

स्वप्न नवीनीकृत हो जाएँ,भटकें नहीं पुराने।

किरणों में है नवल ताज़गी,हर पल लगे सुहाने।।

 

जीवन अब तो गतिमय होगा, अंतर में खुशहाली।

नहीं बंधु अब खाली होगी, नवल वर्ष में थाली।।

नगर-डगर से सबका परिचय,साथ रहें अंजाने।

किरणों में है नवल ताज़गी,हर पल लगे सुहाने।।

 

एक बार फिर सतयुग आए, यही कामना मेरी।

हर जन के लब पर मुस्कानें, यही भावना मेरी।।

अपनी बस्ती,नगर हमारा,हमको गाँव सजाने।

किरणों में है नवल ताज़गी,हर पल लगे सुहाने।।

© प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे

प्राचार्य, शासकीय महिला स्नातक महाविद्यालय, मंडला, मप्र -481661

(मो.9425484382)

ईमेल – [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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