सुश्री शारदा मित्तल
दोहे
(सुश्री शारदा मित्तल जी का e-abhivyakti में स्वागत है। आप महिला काव्य मंच चड़ीगढ़ इकाई की संरक्षक एवं वूमन टी वी की पूर्व निर्देशक रही हैं। प्रस्तुत हैं उनके दोहे। हम भविष्य में उनकी और रचनाओं की अपेक्षा करते हैं।)
कंकर पत्थर सब सहे, मैंने तो दिन रात ।
सागर सी ठहरी रही, मैं नारी की जात ।।
साथ निभाया हर घड़ी, मन की गाँठें खोल।
रिश्तों को महकाऐं हैं, तेरे मीठे बोल ।।
मानवता देखें नहीं, सब देखें औकात ।
इस सदी ने दी हमें, ये कैसी सौगात ।।
अड़ियल कितना झूठ हो, सब लेते पहचान ।
खामोशी भी बोलती, सच में कितनी जान ।।
मात-पिता का हाथ यूँ, ज्यूँ बरगद की छाँव ।
तू जन्नत को खोजता, जन्नत उनके पाँव ।।
बौराया जग में फिरे, कैसे आऐ हाथ ।
तू बाहर क्यूँ खोजता, वो है तेरे साथ ।।
खुद पर, तुझ पर, ईश पर, है इतना विश्वास ।
तूफ़ा कितने हों मगर, छू लूँगी आकाश ।।
शाखों से झरने लगे, अब हरियाले पात ।
शायद अपनों ने दिया, इनको भी आघात ।।
तुझे स्मरित जब किया, झुक जाता है शीश ।
प्रभु हमेशा ही मिले, बस तेरा आशीष ।।
नदी किनारे बैठकर कब बुझती है प्यास।
बिना भरे अंजलि यहाँ, रहे अधूरी आस।।
© शारदा मित्तल
605/16, पंचकुला
सुंदर कविता
बहुत सुन्दर
Respected Sharda ji very Nice Dohe written by you Plz call me for Audio Video Recording and broadcast on YouTube Twitter Facebook WhatsApp Tushar Trivedi Playback Singer World Record India Holder Amdavad WhatsApp Mob. 9545178791 and Jiyo Mob. 6353689571 Gujarat
श्रीराधे
अदम्य साहस की कल्पना
बहुत सुंदर
अत्यंत सुंदर भावाभिव्यक्ति।मैंने आपकी रचना भी पढी है ।तथा उसका रिव्यू लिखने का प्रयास भी किया। गागर मे सागर भरने का स्तुत्य कार्य। नमन।
कलात्मकता पूर्ण अभिव्यक्ति
अति सुन्दर भावाभिव्यक्ति!!
शारदा दी की लेखनी दिल की गहरइयों तक उतार जाती है।हर विषय पर लिखा है उन्होंने। सधी हुई भाषा,उत्कृष्ट शब्द और हर समस्या को समझ कर सरल,सेहज अभ्वियक्ती उनकी विशेषता है। वूमेन टीवी के ट्रस्टी के पद पर हम दोनों ने एक दूसरे को समझा। गर्व है एक अद्भुत लेखिका और बड़ी बहन सी दोस्त शारदा दी के रूप में मेरे जीवन में है।