प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
(प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी द्वारा रचित एक समसामयिक विशेष रचना ‘दुख की घड़ियां कटेंगी, मिलेगा जीवनदान। )
☆ दुख की घड़ियां कटेंगी, मिलेगा जीवनदान ☆
करोना के कहर से कांप रहा संसार
हर चेहरा चिंतित दुखी देश और सरकार
रुकी है धड़कन विश्व की ठप्प है कारोबार
बंद सभी हैं घरों में बंद सकल व्यापार
सूनी सड़के बंद सब दफ्तर और स्कूल
स्थितियां सब बन गई जनजीवन प्रतिकूल
बच्चे , बूढ़े कैद से है हो रहे उदास
फिर भी कई एक मूर्ख हैं करने और विनाश
अपना खुद ही नासमझ करते सत्यानाश
शासन के आदेशों का करते जो उपहास
कैसे क्यों ? सहसा हुई बीमारी उत्पन्न
है दुनिया अनजान और वैज्ञानिक सब सन्न
शायद किया है मनुज ने कोई बड़ा अपराध
जिससे बढ़ती जा रही यह प्रतिदिन निर्बाध
आत्म निरीक्षण करें सब तथाकथित विद्वान
प्रकृति को छेड़ा है जिनने जैसे हों नादान
शायद मनुज की गलतियों का ही है परिणाम
जिसको देता रहा वह महाशक्ति का नाम
प्रेम भाव की हुई कमी बढा बैर विद्वेष
आपस के दुर्भाव को झेल रहा हर देश
बहुत जरूरी है बढ़े फिर ममता और प्रेम
अनुशासित हो कामना रीति नीति और नेम
यदि सचेत हो लोग सब तो न हो और बिगाड़
अनजानी कठिनाइयों के ना बढें पहाड़
यदि पनपे सद्भावना ना हो कोई निराश
क्रमशः बढ़ता जा सके आपस का विश्वास
धीरज से ही कटेगी यह अंधियारी रात
घना अंधेरा रात का देता नवल प्रभात
सब की गति मति एक हो तो मुश्किल आसान
कठिन तपस्या से सदा मिलते हैं भगवान
करो ना कुछ भी अटपटा तो ये करोना जाए
जीवन में संसार के फिर समृद्धि सुख आये
बढ़े न रोग ये इसका है एक ही सरल उपाय
स्वच्छ रहे , घर में रहे बाहर व्यर्थ न जाएं
दुख की घड़ियां कटेंगी मिलेगा जीवनदान
सबकी शुभ सदबुद्धि हो, विनय यही भगवान
© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
ए १ ,विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
मो ७०००३७५७९८