श्री नरेंद्र राणावत

( आज प्रस्तुत है युवा साहित्यकार श्री नरेंद्र राणावत जी की एक समसामयिक कविता धरती है माँ हमारी.)

☆ धरती है माँ हमारी ☆

 

धरती है माँ हमारी

रखनी है लाज

हम सभी को,

लिया है जन्म

तो कर्ज चुकाने ही होंगे,

क्यू की प्रकृति हमेशा न्याय करती है,

बता दिया इस कोरोना वैश्विक महामारी ने,

कुछ भी नही चलता साथ

केवल हमारी नैसर्गिक प्रकृति ही हमे बचाती है।

 

क्या दिया हमने,क्या बोया हमने?

हिसाब तय है,

आओ हम सब मिलकर

पेड़ पौधे लगाये,

जीव,जन्तु,मनुष्य हम सब पर्यावरण को बचाये,

नही बचा गर इस धरा का

आंचलिक रूप,

तो हम कही का भी नही रह पाएंगे,

त्राहि त्राहि मच जायेगी चारों और

हाहाकर कर बेमौत मर जायेंगे हम सब,

 

इसलिए उठ मनुज

अभी वक़्त है सम्भलने का

समय रहते धरती माँ को बचा ले,

तेरे हर कृत्यों से

मुझ पर

इस तरह का प्रदूषण फैल गया है,

की अब तेरा बोया हुआ ही,

अब वापस लौटा रही हूँ में तुम्हे,

 

© नरेंद्र राणावत  

जिला सचिव रक्तकोष फाउंडेशन जालौर, युवा साहित्यकार व् लेखक

गांव-मूली, तहसील-चितलवाना, जिला-जालौर, राजस्थान

+919784881588

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