श्रीमति योगिता चौरसिया ‘प्रेमा’
(साहित्यकार श्रीमति योगिता चौरसिया जी की रचनाएँ प्रतिष्ठित समाचार पत्रों/पत्र पत्रिकाओं में विभिन्न विधाओं में सतत प्रकाशित। कई साझा संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित। राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय मंच / संस्थाओं से 150 से अधिक पुरस्कारों / सम्मानों से सम्मानित। साहित्य के साथ ही समाजसेवा में भी सेवारत। हम समय समय पर आपकी रचनाएँ अपने प्रबुद्ध पाठकों से साझा करते रहेंगे।)
☆ कविता ☆ नमन वीर को … ☆ श्रीमति योगिता चौरसिया ‘प्रेमा’ ☆
(विधा-जयानंदिनी छंद)
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अमन शांति मन धरते, वही पीर जन हरते ।
सदा देश भक्ति करे ,खड़े वीर शौर्य भरे ।।
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सदा शीर्ष जो लहरे, तिरंगा बना फहरे।
धरे वीरता चलते, सदा शत्रु मन खलते ।।
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करे जंग जीवन की ,सहारा बने जन की ।
नमन वीर को करते, शहादत चमन भरते ।।
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कहे योगिता सब से, बने आस जन कब से ।
भरी ठंड हो गहरी, खड़े रात-दिन प्रहरी ।।
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लुटा प्राण जग रहते, खुशी देश जन बहते।
सुरक्षा बना चलते, सदा प्रार्थना पलते ।।
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© श्रीमति योगिता चौरसिया ‘प्रेमा’
मंडला, मध्यप्रदेश
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈