सुश्री मीना भट्ट सिद्धार्थ
परिचय
कवियत्री – सुश्री मीना भट्ट सिद्धार्थ
संप्रत्ति – सेवा निवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, डिविजनल विजिलेंस कमेटी जबलपुर की पूर्व चेअर पर्सन।
प्रकाशित पुस्तक – पंचतंत्र में नारी, पंख पसारे पंछी, निहिरा (गीत संग्रह) एहसास के मोती, ख़याल -ए-मीना (ग़ज़ल संग्रह), मीना के सवैया (सवैया संग्रह) नैनिका (कुण्डलिया संग्रह)
पुरस्कार/सम्मान – कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
नवगीत – सत्य की छाँव ☆ सुश्री मीना भट्ट सिद्धार्थ
चौसर की यह चाल नहीं है,
नहीं रकम के दाँव।
अपनापन है घर- आँगन में,
लगे मनोहर गाँव।।
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खेलें बच्चे गिल्ली डंडे,
चलती रहे गुलेल।
भेदभाव का नहीं प्रदूषण,
चले मेल की रेल।।
मित्र सुदामा जैसे मिलते,
हो यदि उत्तम ठाँव।
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जीवित हैं संस्कार अभी तक,
रिश्तों का है मान।
वृद्धाश्रम का नाम नहीं है
यही निराली शान।।
मानवता से हृदय भरा है,
नहीं लोभ की काँव।
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घर-घर बिजली पानी देखो,
हरिक दिवस त्योहार।
कूके कोयल अमराई में,
बजता प्रेम सितार।।
कर्मों की गीता हैं पढ़ते,
गहे सत्य की छाँव।
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© सुश्री मीना भट्ट सिद्धार्थ
(सेवा निवृत्त जिला न्यायाधीश)
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