श्री राकेश कुमार पालीवाल
(सुप्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक श्री राकेश कुमार पालीवाल जी वर्तमान में महानिदेशक (आयकर), हैदराबाद के पद पर पदासीन हैं। गांधीवादी चिंतन के अतिरिक्त कई सुदूरवर्ती आदिवासी ग्रामों को आदर्श गांधीग्राम बनाने में आपका महत्वपूर्ण योगदान है। आपने कई पुस्तकें लिखी हैं जिनमें ‘कस्तूरबा और गाँधी की चार्जशीट’ तथा ‘गांधी : जीवन और विचार’ प्रमुख हैं। श्री राकेश कुमार पालीवाल जी की समसामयिक कविता प्रकृति और हम एक विचारणीय कविता है। .)
☆ प्रकृति और हम ☆
लॉक डॉउन से
बहुत खुश हुए होंगे
गलियों के आवारा पशु,
कुत्ते, बिल्ली, मुर्गे, मुर्गियां
कोई नहीं है गरियाने लठियाने वाला
जहां तक चाहें वहां तक
घूम फिर सकते हैं बेरोकटोक
बहुत खुश हुए होंगे शहरों के पंछी
पार्कों और सड़कों के पेड़ों के आसपास
कोई आदमी नहीं है डरना पड़े जिसकी आहट से
खुश हुई होंगी शहर की सड़कें
बहुत कम रौंदी है उनकी देह
दुपहिया और चार पहिया वाहनों ने
खुश होंगी हैज की झाड़ियां
खरपतवार लान के
सुबह सुबह नहीं आया माली
बेरहमी से टहनियों पत्तों की कांट छांट करने
खुशगवार हैं सुबहो शाम की हवाएं
नहीं घुला जहर वाहनों के धुंए का
आसमान भी साफ है और दिन के मुकाबले
रात में तारों की जगमग है और दिनों से ज्यादा
आदमी की जरा सी धीमी रफ्तार से
कितनी खुशी मिली है
असंख्य जानवरों, पक्षियों
पेड़ पौधों और सड़कों और हवाओं को
प्रकृति मन ही मन
दे रही होगी धन्यवाद कोरोना को !
हमने नहीं समझा
सिसकती प्रकृति का गम
कितने दूर हो गए हैं
प्रकृति और हम !
जियो और जीने दो
प्रकृति का रस सबको पीने दो
© श्री राकेश कुमार पालीवाल
हैदराबाद