पंडित मनीष तिवारी

 

(प्रस्तुत है संस्कारधानी जबलपुर ही नहीं ,अपितु राष्ट्रीय  स्तर ख्यातिलब्ध साहित्यकार -कवि  पंडित मनीष तिवारीजी  की  पत्रकारिता दिवस के अवसर पर समस्त पत्रकारों को  हार्दिक शुभकामनाओं के साथ समर्पित एक विनोदात्मक कविता  “पत्रकार का प्रेम – पत्र”।  श्री मनीष तिवारी जी  की लेखनी को सादर नमन।  )

☆ पत्रकारिता दिवस विशेष – पत्रकार का प्रेम – पत्र ☆

 

एक पत्रकार ने

अपनी प्रेमिका को पत्र लिखा

पत्र का मज़मून

समाचार की तरह तैयार किया

 

प्रिये,

प्राप्त जानकारी के अनुसार

आजकल तुम छत पर

उदास अनमनी सी घूमती हो

गमले में लगे गुलाब को

हसरत भरी निग़ाहों से चूमती हो।

 

हमारा अपराध संवाददाता

ख़बर ला रहा है

मेरा प्रतिद्वंदी पत्रकार

तुम्हारे घर के

चक्कर लगा रहा है।

 

पर तुम बहकावे में मत आना

मैं उससे अपने ढंग से निपटूंगा

उससे कुछ भी नहीं बोलूंगा

आगामी अंक में

उसके पूरे खानदान की

जन्म कुण्डली खोलूंगा।

 

प्रत्यक्ष दर्शियों के अनुसार

तुम मेरी याद में

रात रात भर जागती हो

छत पर

तारे को तोड़ने के लिए

दौड़ती हो भागती हो

और  प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार

मोरनी की तरह नाचती हो।

 

पिछले पाँच सालों से हमारा प्यार

किसी धारावाहिक अंक की

तरह चल रहा है

इसमें,

क्रमशः शब्द मुझे

बहुत खल रहा है।

 

इंतज़ार में समय नहीं गवाना है

शीघ्र ही अंतिम किश्त लाना है।

 

अनेक प्रेम प्रूफ की गलतियां लिए

वर्गीकृत विज्ञापन की तरह

तुम्हारा पत्र आता है

बदले में मेरा जवाब

पूरे आठ कॉलम में जाता है।

 

तुम्हारे डैडी की बातें

मेरे समझ में नहीं आती हैं

अ कविता अ कहानी नवगीत की तरह

ऊपर से गुजर जाती हैं।

 

जानकार सूत्रों के अनुसार

तुमनें अपना दूत

मेरे पास पहुँचाया

परन्तु , प्राण बल्लभे

वह कलमुँहा तो

ग्रामीण क्षेत्रीय प्रतिनिधि की तरह

आज तक नहीं आया।

 

वैसे मैं खोटा नहीं हूँ

अक्ल से मोटा नहीं हूँ

यकीन मानिए

दैनिक अख़बार की तरह

एकदम निष्पक्ष और निर्भीक हूँ।

 

मालिक का चमचा हूँ

इसलिए उनके बहुत नज़दीक हूँ

 

बतर्ज़ प्रधान संपादक

हमारे अख़बार में

किसी का खण्डन नहीं छपता है

इसलिए

तुम भी प्यार का

खण्डन नहीं करना

वरना

तुम्हारे घर के आगे धरूँगा धरना।

 

आज इतना ही

शेष आगामी अंक में फिर लिखेंगे

मुझे विश्वास

अख़बार के मुद्रक और प्रकाशक की तरह

प्रेम के स्वत्ताधिकार पर

हम दोनों के नाम दिखेंगे।

 

©  पंडित मनीष तिवारी, जबलपुर ,मध्य प्रदेश 

प्रान्तीय महामंत्री, राष्ट्रीय कवि संगम – मध्य प्रदेश

मो न 9424608040 / 9826188236

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