श्रीमति हेमलता मिश्र “मानवी “

(सुप्रसिद्ध, ओजस्वी,वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती हेमलता मिश्रा “मानवी” जी  विगत ३७ वर्षों से साहित्य सेवायेँ प्रदान कर रहीं हैं एवं मंच संचालन, काव्य/नाट्य लेखन तथा आकाशवाणी  एवं दूरदर्शन में  सक्रिय हैं। आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय स्तर पर पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित, कविता कहानी संग्रह निबंध संग्रह नाटक संग्रह प्रकाशित, तीन पुस्तकों का हिंदी में अनुवाद, दो पुस्तकों और एक ग्रंथ का संशोधन कार्य चल रहा है। आज प्रस्तुत है श्रीमती  हेमलता मिश्रा जी की  बिटिया दिवस पर विशेष रचना – मैं बिटिया भारत की। )

आज 27/9/2020 बिटिया दिवस के उपलक्ष्य में – 

☆ बिटिया दिवस विशेष – मैं बिटिया भारत की ☆   

 

ना मैं नन्ही छुई-मुई सी पापा की कोमल सी परी

ना ही हाथ लगे मुरझाती लाड़ली गुड़िया मम्मा की

 

मैं  हूँ बिटिया बड़ी सयानी माँ, बाबा, दादी-दादू की।

अमराई पनघट नदिया और नीम तले चौपाल गाँव की।।

 

झूला बाबा की बाहों का निंदिया लोरी में माँ की

बस इसमें ही पायी मैंने हर पल  खुशियाँ जीवन की।।

 

बाबा ने पट्टी लेखनी से बाँध दिये सब ताने-बाने।

दो चोटी संग गूँथ दिये माँ ने सपने सारे अपने।।

 

लैपटॉप है नहीं हाथ में ना एनड्राॅयड मोबाईल।

लगती भले पुराने युग की मत समझो मुझको जाहिल।।

 

मैं बस्ता पुस्तक और लैंप का ले कर के उजियारा।

अपनी कलम से तिमिर और स्याही से छाँटूगी अँधियारा ।।

 

बारिश में चमके बिजली दृढ़ता संकल्प भरे मुझमें।

मैं तब भी रहूंगी वहीं डटी सपने न कभी बिकने दूँगी ।।

 

मेरी पायल के मधुर गीत अंबर तक मैं पहुंँचाऊँगी

आकाशगंगा और अंतरिक्ष तक जब मैं दौड़ लगाऊँगी

 

खूब पढूँगी खूब बढूँगी हार नहीं मानूँगी।

सेना में भर्ती होकर दुश्मन के छक्के छुडा़ दूँगी।।

 

मैं बिटिया भारत माँ की पढ़ रही देश की खातिर।

जान लडा़ दूँगी सरहद पर आँच नहीं आने दूँगी ।।

 

© श्रीमति हेमलता मिश्र “मानवी ” 

नागपुर, महाराष्ट्र 440010

 ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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