श्रीमती सुधा भारद्वाज 

सुप्रसिद्ध साहित्यकार, रंगकर्मी  एवं समाजसेवी श्रीमती सुधा भारद्वाज जी का ई- अभिव्यक्ति में हार्दिक स्वागत है।

संक्षिप्त परिचय 

शिक्षा- एम.ए., बी.एड., बी.ए. में एस.एन.डी.टी. विश्वविद्यालय की प्रवीणता सूची (मेरिट लिस्ट) में रहीं।

कुछ समय अध्यापन, विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित, आकाशवाणी पुणे से कहानियों तथा कविताओं का प्रसारण। कुछ डॉक्यूमेंट्री फिल्मों को स्वर दिया है। सामाजिक कार्यों में रुचि, स्त्रियों और बच्चों के प्रश्न पर यथाशक्ति काम।

सम्प्रति – क्षितिज प्रकाशन की प्रमुख।

आज 27/9/2020 बिटिया दिवस के उपलक्ष्य में – 

☆ बिटिया दिवस विशेष – बिटिया  (तीन कवितायेँ)☆   

 

[1]

बिना कहे

कपड़े तह

कर देती है,

थकान को

गर्मागर्म चाय

की प्याली से

भगा देती है,

कभी रोटी सेक देती है,

कभी झाड़ू बुहार देती है,

बिजली का बिल भर आती है,

बिटिया है मेरी पर

प्राय: माँ बन जाती है!

 

[2]

नकचढ़ी हँसी के

कान उमेठे तो

और खिलखिलाई,

बोली- क्या करुँ?

आपकी बिटिया

मुझे अपने मायके

बंधुआ बना लाई!

 

[3]

रसोई से आती महक,

दीवारों से गूँजती हँसी,

पड़ोसिन के चेहरे की

रौनक बतला रही है,

उसकी बिटिया

पीहर आ रही है!

 

© श्रीमती सुधा भारद्वाज

संस्थापक सदस्या – ‘हिंदी आंदोलन परिवार’, पुणे 

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माया कटारा

सुधा जी ! अनुपम अनुभव ,सोचती हूँ बेटियाँ जीवन संजीवनी हैं , हर साँस में बसा बिटिया के एहसास मात्र से जीवन सुगंधित होने लगता है , बेटी के हर रूप को प्रणाम – प्रतिबिंब होती है बिटिया , होती है संस्कारों की खान …..

Manjula Sharma

वाह!बहुत सुंदर?

Sudha Bhardwaj

धन्यवाद

सत्येंद्र सिंह

बहुत सुमदर कविताएम.

Sudha Bhardwaj

धन्यवाद

अलका अग्रवाल

बहुत सुंदर सुधाजी-बिटिया होती ही इतनी प्यारी व जीवन भर साथ निभाने वाली हैं कि जीवन संवार देती हैं। बिटिया दिवस पर बधाई।

Sudha Bhardwaj

धन्यवाद अलका जी

रामहित यादव

बहुत ही भावपूर्ण रचनाएँ।साधुवाद।

Sudha Bhardwaj

धन्यवाद आदरणीय

वीनु जमुआर

प्यारी कविताएँ.. बेटियों सी ही कोमल..संवेदनशील!

Sudha Bhardwaj

जी धन्यवाद ?

swaraangi

अहाहाहा…यह तो हर बेटी के लिए हर माँ की ओर से कही कविताएँ बन गई हैं

पूर्णिमा पांडेय

है तो बिटिया
पर प्रायः माँ बन जाती है
सुंदर अभिव्यक्ति

Sudha Bhardwaj

धन्यवाद पूर्णिमा जी