श्री एस के कपूर “श्री हंस”
(बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री एस के कपूर “श्री हंस” जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत्त अधिकारी हैं। आप कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं। साहित्य एवं सामाजिक सेवाओं में आपका विशेष योगदान हैं। आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण रचना बस रच कर प्रेम का इतिहास तुम जाना…।)
☆ मुक्तक – ।। बस रच कर प्रेम का इतिहास तुम जाना ।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस”☆
[1]
दिखा कर मानवता का आभास तुम जाना।
सुना कर संवेदना का अहसास तुम जाना।।
कटुता घृणा करनी शून्य इस संसार से।
रच कर जहान से नव इतिहास तुम जाना।।
[2]
बस अंधेरों में तुम रोशन चिराग जलाते रहना।
तुम हर नफ़रत की आग को बुझाते रहना।।
धीरे धीरे ही सही जलाते रहो अलख प्रेम की।
बस तुम महोब्बत का ही राग सुनाते रहना।।
[3]
हर समस्या में ही छिपा उसका समाधन है।
मिल कर रहें तो संभव हर इक़ निदान है।।
प्रेम ही खींचता है प्रेम अपनी ओर।
सदियों से चल रहा विधि का विधान है।।
[4]
तराश कर बनायो जीवन अनमोल हीरा तुम।
कड़वा नहीं जुबां बनायो मीठा शीरा तुम।।
इंसानियत बढे कोशिश हो हम सब की।
बस इक्कट्ठा करो प्यार का ज़खीरा तुम।।
© एस के कपूर “श्री हंस”
बरेली
मोब – 9897071046, 8218685464