डॉ राजकुमार तिवारी ‘सुमित्र’
(संस्कारधानी जबलपुर के हमारी वरिष्ठतम पीढ़ी के साहित्यकार गुरुवर डॉ राजकुमार “सुमित्र” जी को सादर चरण स्पर्श । वे आज भी हमारी उंगलियां थामकर अपने अनुभव की विरासत हमसे समय-समय पर साझा करते रहते हैं। इस पीढ़ी ने अपना सारा जीवन साहित्य सेवा में अर्पित कर दिया। वे निश्चित ही हमारे आदर्श हैं और प्रेरणा स्त्रोत हैं। आज प्रस्तुत हैं राजभाषा दिवस के अवसर पर आपके अप्रतिम दोहे ..संदर्भ हिंदी। )
लेखनी सुमित्र की – दोहे ..संदर्भ हिंदी
हिंदी भाषा राष्ट्र की, जन मन को स्वीकार।
राजनीति की मंथरा, उगल रही अंधियार ।।
जय हिंदी जय हिंद का, गुंजित हो जय नाद।
आवश्यक इसके लिए, न्यायोचित संवाद।।
राष्ट्र हमारा एक है, भाषा किंतु अनेक ।
बड़ी बहन हिंदी सुगढ़, सहोदरा प्रत्येक।।
जेष्ठा हिंदी वंचिता, देती है धिक्कार ।
आजादी के बाद भी, मिला नहीं अधिकार।।
अंग्रेजी का राज है, अंग्रेजी का ताज ।
दौपदि हिंदी चीखती, है धृतराष्ट्र समाज।।
हिंदी भाषा प्रेम की, अंतर में सद्भाव।
भाषा बोली का सभी, करती चले निभाव।।
हिंदी को अगर मिले, बड़े देश का मान ।
वरना थोथे शब्द है- मेरा देश महान ।।
© डॉ राजकुमार “सुमित्र”
112 सर्राफा वार्ड, सिटी कोतवाली के पीछे चुन्नीलाल का बाड़ा, जबलपुर, मध्य प्रदेश
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
बेहतरीन अभिव्यक्ति