हेमन्त बावनकर
☆ शब्द मेरे अर्थ तुम्हारे – 11 ☆ हेमन्त बावनकर☆
☆ ताकि सनद रहे…. ☆
शायद ही कोई ऐसा हो
जिसने कोरोना महामारी में
कोई अपना न खोया हो
विवशता पर न रोया हो।
चौथा स्तंभ तो
वर्तमान में जीता है
पुरानी ब्रेकिंग न्यूज़ को
ध्रुवीकरण के सियासती धागों से
सर्वधर्म सद्भाव की सुई में पिरोकर
लोकतन्त्र के पर्वों पर
नई ब्रेकिंग न्यूज़ से सीता है।
कहीं लिख लो जेहन में अपने
वो मौत का मंजर
वो तैरती लाशें
नकली दवाइयॉं
बिस्तर, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर
और समर्पित हेल्थ वर्कर
ताकि सनद रहे…
और वक्त जरूरत …..!
© हेमन्त बावनकर, पुणे
25 फ़रवरी 2022
मो 9833727628
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
अग्रज बावनकर जी,
सार्थक रचना हेतु धन्यवाद।
?????
हार्दिक आभार
उत्कृष्ट रचना !!
वाह मार्मिक अभिव्यक्ति