श्री प्रहलाद नारायण माथुर

( श्री प्रह्लाद नारायण माथुर जी अजमेर राजस्थान के निवासी हैं तथा ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी से उप प्रबंधक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। आपकी दो पुस्तकें  सफर रिश्तों का तथा  मृग तृष्णा  काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुकी हैं तथा दो पुस्तकें शीघ्र प्रकाश्य । आज से प्रस्तुत है आपका साप्ताहिक स्तम्भ – मृग तृष्णा  जिसे आप प्रति बुधवार आत्मसात कर सकेंगे। इस कड़ी में आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता ‘तू क्या बला है ए जिंदगी। ) 

 

Amazon India(paperback and Kindle) Link: >>>  मृग  तृष्णा  

 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – मृग तृष्णा # 41 ☆

☆ तू क्या बला है ए जिंदगी 

 

कितने राज छुपा रखे है तूने ए जिंदगी,

आज मुझे किस मोड़ पर पहुंचा दिया तूने ए जिंदगी ||

दो घड़ी खुशी से गुजारने की तमन्ना थी,

खुशी से पहले ग़मों को पहुंचा दिया तूने ए जिंदगी ||

दो पल का सब्र तो कर लेती,

क्या पहले कम थे जो और ग़म दे दिए तूने ए जिंदगी ||

सुना था हर रात के बाद एक नई सुबह होती है,

नई सुबह को भी अंधेरी रात में पहुंचा दिया तूने ए जिंदगी ||

एक सीधा सा जीवन ही तो जीना चाहा था,

सुलझे हुए जीवन को उलझा कर रख दिया तूने ए जिंदगी ||

अब तो शाम होने को आई ए जिंदगी,

जाते-जाते तो बतला जा आखिर तू बला क्या है ए जिंदगी ||

 

© प्रह्लाद नारायण माथुर 

8949706002
≈ सम्पादक श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
5 1 vote
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments