प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे

☆ संदेशपूर्ण चौपाईयाँ  ☆ प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे ☆

मानवता का धर्म निभाना। ख़ुद को चोखा रोज़ बनाना।।

बुरे सोच को दूर भगाना। प्रेमभाव को तुम अपनाना।।(1)

 

दयाभाव के फूल खिलाना। पर-उपकारी तुम बन जाना।।

झूठ कभी नहिं मन में लाना। मानव बनकर ही दिखलाना।।(2)

 

निर्धन को तुम निज धन देना। उसके सारे दुख हर लेना।।

भूखे को भोजन करवाना। करुणा का तुम धर्म निभाना।।(3)

 

अंतर में उजियारा लाना। द्वेष,पाप तुम दूर भगाना।।

लोभ कभी नहिं मन में लाना। ख़ुद को सच्चा संत बनाना।।(4)

 

ईश्वर को तुम नहिं बिसराना। अच्छे कामों के पथ जाना।।

अपनी करनी को चमकाना। मानवता का सुख पा जाना।।(5)

 

भजन,जाप को तुम अपनाना। मंदिर जाकर ध्यान लगाना।।

वंदन प्रभुजी का नित करना। अपने पापों को नित हरना।।(6)

 

अहंकार को दूर भगाना। विनत भाव को उर में लाना।।

कोमलता से प्रीति लगाना। संतों की सेवा में जाना।।(7)

 

भजन,आरती में खो जाना। सद् वाणी प्रति राग जगाना।।

बुरी बात हर ,परे हटाना। दुष्कर्मों को आज मिटाना।।(8)

 

जीवन को नहिं व्यर्थ गँवाना। दान,पुण्य से प्रीति लगाना।।

हर प्राणी से दया दिखाना। स्वारथ को तो दूर भगाना।।(9)

 

नैतिकता के पथ पर चलना। समय गँवा,नहिं आँखें मलना।।

मानव बन ही रहना होगा। गंगा जैसा बहना होगा।।(10)

 

© प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे

प्राचार्य, शासकीय महिला स्नातक महाविद्यालय, मंडला, मप्र -481661

(मो.9425484382)

ईमेल – [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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