सुश्री प्रभा सोनवणे

? कविता ?

☆ सजन☆ सुश्री प्रभा सोनवणे ☆

(डमरू घनाक्षरी)

तरसत मन अब, सजन जलत मन

असफल हर पल, पवन करत छल ।।

*

डगर डगर पर, सहज नजर धर

इधर उधर सब, बहत नयन जल ॥

*

जहर अधर पर, कहत कपट कर

दरस हरस कब, भटकत जल थल ॥

*

 बहकत पग अब, खबर नगर भर

सरस सबल मन, पनघट पर चल ॥

© प्रभा सोनवणे

संपर्क – “सोनवणे हाऊस”, ३४८ सोमवार पेठ, पंधरा ऑगस्ट चौक, विश्वेश्वर बँकेसमोर, पुणे 411011

मोबाईल-९२७०७२९५०३,  email- [email protected]

संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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