श्री प्रहलाद नारायण माथुर
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☆ साप्ताहिक स्तम्भ – मृग तृष्णा # 10 – मेरे शब्द ☆
आज जिन्दा हूँ तो कोई याद करता नहीं,
कल मेरी तस्वीर टंगी देखकर लोग रोने लगेंगे ||
माहौल बहुत गमगीन हो जाएगा,
जब मेरे बचपन की यादों में लोग मुझे ढूँढने लगेंगे ||
कल जब लोग मुझे अपने बीच नहीं पाएंगे,
यकीन कीजिए मेरे शब्द उनकी आंखे नम कर देंगे ||
जब चला जाऊँगा लौट कर फिर ना आऊँगा,
मेरी कविताओं में लोग मुझे नम आँखों से ढूँढने लगेंगे ||
जो लोग मुझे कभी कोसते नहीं थकते,
मेरी कविताओं में मेरा किरदार ढूँढने लगेंगे ||
मैं कल जब निःशब्द हो जाऊँगा ,
लोग मेरी किताब के पन्ने पलट कर मुझे ढूँढने लगेंगे ||
जब निशब्द हो जाऊँ परेशान ना होना,
मुझे किताबों में देख लेना, मैं हर शब्द में मिल जाऊँगा ||
ढूँढतेरहोगे मुझे यादों के झरोखों में,
किताब के किसी मुड़े हुए पन्ने में तुम्हें मिल जाऊँगा ||
© प्रह्लाद नारायण माथुर