श्री सूबेदार पाण्डेय “आत्मानंद”


(आज  “साप्ताहिक स्तम्भ -आत्मानंद  साहित्य “ में प्रस्तुत है  एक धारावाहिक कथा  “स्वतंत्रता संग्राम के अनाम सिपाही  -लोकनायक रघु काका ” का अंतिम भाग।

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – आत्मानंद साहित्य – स्वतंत्रता संग्राम के अनाम सिपाही  -लोकनायक रघु काका- 6

वो गहननिंद्रा में निमग्न हो गये, काफी‌ दिन चढ़ जाने पर ही चरवाहे बच्चों की‌ आवाजें सुन कर जागे और अगल बगल छोटे बच्चों का‌ समूह खेलते पाया था। उनकी मधुर आवाज से ही उनका मन खिलखिला उठा था और वे एक बार फिर सारी दुख चिंताये भूल कर बच्चों मे‌ बच्चा बनते दिखे। वे मेले से खरीदी रेवड़ियां और बेर फल बच्चों में बाँटते दिखे। तब से वह भग्न शिवालय ही उनका आशियाना बना।

अब वे‌ विरक्त संन्यासी का जीवन गुजार ‌रहे थे। उन्हें जिंदगी को एक नये सकारात्मक दृष्टिकोण ‌से देखने का जरिया मिल गया था। एक दिन जीवन के मस्ती भरे क्षणों के बीच उन्हीं खंडहरों में रघूकाका का पार्थिव शरीर मिला। उस दिन सहचरी ढोल सिरहाने पड़ी आँसू बहा रही थी। कलाकार मर चुका था कला सिसक रही थी।

उनके शव को चील कौवे नोच रहे थे। शायद यही उनकी आखिरी इच्छा थी  कि मृत्यु हो तो उनका शरीर उन‌ भूखे बेजुबानों के काम‌ आ जाय । वे लाख प्रयास के बाद भी उस समाज का परित्याग कर चुके थे।  जहां अपनों से नफ़रत गैरों से बेपनाह मुहब्बत मिली थी।  प्यार मुहब्बत और नफरतों का ये खेल ही उनके  दुख का कारण बना था । आज सुहानी सुबह उदास थी और चरवाहे बच्चों की आँखें नम थी।  जो कल तक रघूकाका के साथ खेलते थे। इस प्रकार स्वतंत्रता संग्राम सेना के‌ एक महावीर ‌योद्धा का चरित्र एक‌ किंवदंती बन कर रह गया, जिनका उल्लेख इतिहास के किताबों में नहीं मिलता। स्वतन्त्रता संग्राम के ऐसे कई अनाम और गुमनाम योद्धा इतिहास के पन्नों में भी उपलब्ध नहीं हैं।

उपसंहार – यद्यपि मृत्यु के पश्चात पार्थिव शरीर पंच तत्व में विलीन हो जाता है। मात्र रह जाती है, जीवन मृत्यु के‌ बीच बिताए ‌पलों की कुछ खट्टी मीठी यादें जो घटनाओं के रूप धारे स्मृतियों के झरोखों से झांकती कभी कथा, कहानी, संस्मरण, रेखाचित्र की विधाओं में सजी पाठकों श्रोताओं के दिलो-दिमाग  को अपने इंद्रधनुषी रंगों से आलोकित एवम् स्पंदित करती नजर आती है तो कभी‌ भावुक‌ हृदय को झकझोरती भी है।

 

© सुबेदार पांडेय “आत्मानंद”

संपर्क – ग्राम जमसार, सिंधोरा बाज़ार, वाराणसी – 221208, मोबा—6387407266

 ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments