श्री प्रहलाद नारायण माथुर

( श्री प्रह्लाद नारायण माथुर जी अजमेर राजस्थान के निवासी हैं तथा ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी से उप प्रबंधक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। आपकी दो पुस्तकें  सफर रिश्तों का तथा  मृग तृष्णा  काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुकी हैं तथा दो पुस्तकें शीघ्र प्रकाश्य । आज से प्रस्तुत है आपका साप्ताहिक स्तम्भ – मृग तृष्णा  जिसे आप प्रति बुधवार आत्मसात कर सकेंगे। इस कड़ी में आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता वक्त कभी रुकता  नहीं ) 

 

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☆ साप्ताहिक स्तम्भ – मृग तृष्णा # 14 – वक्त कभी रुकता नहीं

 

जीवन वक्त के पीछे चलता है, वक्त कभी रुकता नहीं,

हम वक्त को नजरअंदाज करते है वक्त कभी नजरअंदाज करता नही ||

 

जीवन-चक्र वक्त का गुलाम है, वक्त कभी टूटता नही,

मत करो नजरअंदाज वक्त को,वक्त कभी वापिस लौट कर आता नहीं ||

 

दिन रात चलता है वक्त, वक्त घड़ी देखकर चलता नहीं,

चकते-चलते जीवन रुक जाता है मगर वक्त कभी रुकता नहीं ||

 

हिम्मत हारने से कुछ नहीं होता, वक्त के साथ हम चलते नहीं,

ये हमारी फिदरत है वक्त के भरोसे रह जिंदगी में कुछ करते नही ||

 

हम भले बुरे में वक्त का बंटवारा करते, वक्त कभी कुछ कहता नहीं,

अच्छा बुरा वक्त हमारी सोच है, वक्त अपना बंटवारा करता  नहीं ||

 

वक्त के संग जिंदगी गुजार ले, वक्त जिंदगी के लिए रुकता नहीं,

जिंदगी झुक जाएगी वक्त के आगे, वक्त जिंदगी के आगे कभी झुकता नहीं ||

 

©  प्रह्लाद नारायण माथुर 

8949706002
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈
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