श्री प्रहलाद नारायण माथुर
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☆ साप्ताहिक स्तम्भ – मृग तृष्णा # 14 – वक्त कभी रुकता नहीं ☆
जीवन वक्त के पीछे चलता है, वक्त कभी रुकता नहीं,
हम वक्त को नजरअंदाज करते है वक्त कभी नजरअंदाज करता नही ||
जीवन-चक्र वक्त का गुलाम है, वक्त कभी टूटता नही,
मत करो नजरअंदाज वक्त को,वक्त कभी वापिस लौट कर आता नहीं ||
दिन रात चलता है वक्त, वक्त घड़ी देखकर चलता नहीं,
चकते-चलते जीवन रुक जाता है मगर वक्त कभी रुकता नहीं ||
हिम्मत हारने से कुछ नहीं होता, वक्त के साथ हम चलते नहीं,
ये हमारी फिदरत है वक्त के भरोसे रह जिंदगी में कुछ करते नही ||
हम भले बुरे में वक्त का बंटवारा करते, वक्त कभी कुछ कहता नहीं,
अच्छा बुरा वक्त हमारी सोच है, वक्त अपना बंटवारा करता नहीं ||
वक्त के संग जिंदगी गुजार ले, वक्त जिंदगी के लिए रुकता नहीं,
जिंदगी झुक जाएगी वक्त के आगे, वक्त जिंदगी के आगे कभी झुकता नहीं ||
© प्रह्लाद नारायण माथुर