श्री सूबेदार पाण्डेय “आत्मानंद”
(आज “साप्ताहिक स्तम्भ -आत्मानंद साहित्य “ में प्रस्तुत है श्री सूबेदार पाण्डेय जी की श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी के जन्मदिवस पर एक भावप्रवण कविता “कलम”। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – आत्मानंद साहित्य – कलम ☆
दबों कुचलों का हथियार ये बन जाती है।
इसकी स्याही से इतिहास लिखी जाती है।
जब ये उतर आये अपनी हस्ती पे,
सारी दुनिया को नई राह दिखा जाती है।
मुहब्बत अमन के संदेश कलम लिखती है,
ज़ालिम को फांसी का आदेश कलम लिखती है।
गलत काम पे नकेल कलम कसती है,
जोर जुल्म का विरोध कलम करती है।
कलम खुशियों के गीत लिखती है,
कलम ग़म के संदेश लिखती है।
कभी गीत, गजल कलम लिखती है,
कविता, कहानी ये कलम लिखती है।
आग और अंगार कलम लिखती है,
कभी मासूम खिदमतगार दिखती है।
कौमों तंजीमों के अल्फ़ाज़ बदल डाले हैं,
इस कलम ने तख्तोताज बदल डाले हैं।
कलम से गलत लोग डरा करते हैं,
इसके सिपाही तो फर्जो पे मरा करते हैं।
वो जंगे मैदां में पलट के प्रहार करते हैं,
बिना शमसीर के कलमों से वार करते हैं।
कलम जब तीर बन कर गुजर जाये,
हदों को पार कर जिगर में उतर जाये।
© सूबेदार पांडेय “आत्मानंद”
संपर्क – ग्राम जमसार, सिंधोरा बाज़ार, वाराणसी – 221208, मोबा—6387407266
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈