श्री एस के कपूर “श्री हंस”
(बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री एस के कपूर “श्री हंस” जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत्त अधिकारी हैं। आप कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं। साहित्य एवं सामाजिक सेवाओं में आपका विशेष योगदान हैं। आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण एवं विचारणीय रचना ।।स्नेह की मूरत ,प्रभु का अमृत प्रसाद सी, बेटी होती है।।)
☆ कविता – ।।स्नेह की मूरत, प्रभु का अमृत प्रसाद सी, बेटी होती है।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस”☆
।।विधा।। मुक्तक।।
[1]
घर में चहकती सुरमई ताल हैं बेटियाँ।
जो करदे हल कोई ऐसा सवाल हैं बेटियाँ।।
स्नेह की मूरत प्रभु का अमृत प्रसाद जैसे।
सच कहूँ तो बहुत ही कमाल हैं बेटियाँ।।
[2]
घर की रौनक आरती का थाल बेटी से है।
घर की सुख शांति प्यार बहाल बेटी से है।।
पायल की झंकार प्रेम दुलार है बेटी से।
सारा का ही सारा घर खुशहाल बेटी से है।।
[3]
वह होते हैं भाग्यवाले घर जिनके बेटी आती है।
घर की खुशी प्रभुकृपा तो बेटी ही लाती है।।
बेटियों से ही है हर उत्सव रंग बहार घर की।
बेटीयों के जरिये ही खुशी घर में जगह पाती है।।
© एस के कपूर “श्री हंस”
बरेली
मोब – 9897071046, 8218685464