श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”
(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” जी का हिन्दी बाल -साहित्य एवं हिन्दी साहित्य की अन्य विधाओं में विशिष्ट योगदान हैं।आज प्रस्तुत है सुश्री भावना शर्मा जी की पुस्तक “अनहद नाद” की पुस्तक समीक्षा।)
☆ पुस्तक चर्चा ☆ ‘अनहद नाद’ – सुश्री भावना शर्मा ☆ समीक्षा – श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ ☆
पुस्तक- अनहद नाद
कवियित्री- भावना शर्मा
प्रकाशक- साहित्यागार, धामणी मार्केट की गली, चौड़ा रास्ता, जयपुर-302006 मोबाइल नंबर 94689 43311
पृष्ठ संख्या- 130
मूल्य- ₹250
समीक्षक- ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’
☆ काव्य में गूंजता अनहद नाद – ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ ☆
भावों का रेचन ही साहित्य की उत्पत्ति का मूल है। साहित्य अपने भावों को व्यक्त करने के लिए मनोगत प्रवाह को ढूंढ लेता है। यदि मनोगत भाव कथा, कहानी, व्यंग्य, हास्य, कविता, मुक्तक, दोहे, सोरठे के अनुरूप होता है उसी में साहित्य सर्जन की लालसा उत्पन्न हो जाती है। तदुनुरूप रचनाकार की लेखनी चल पड़ती है।
इस मायने में भाव का रेचन यदि काव्यानुरूप हो तो काव्य पंक्तियां रचती चली जाती है। इस रूप में भावना शर्मा की प्रस्तुत पुस्तक अनहद नाद की चर्चा अपेक्षित है। पेशे से शिक्षिका भावना शर्मा एक बेहतरीन शिक्षिका होने के साथ-साथ भाव की अभिव्यक्ति को सशक्त ढंग से व्यक्त करने वाली कवियित्री भी है।
कवि हृदय बहुत कोमल कांत और धीरगंभीर होता है। उन्हें भावना, संवेदनहीन शब्द और करारा व्यंग्य अंदर तक सालता रहता है। यही विद्रूपताएं, विसंगतिया और सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक, आर्थिक, असंगति उन्हें अंदर तक प्रभावित करती है। तभी अनहद नाद जैसी काव्य पुस्तक सृजित हो पाती है।
प्रस्तुत पुस्तक में 105 कविताओं में कवियित्री ने अपनी पीड़ा को व्यक्त किया है। आपने प्रकृति, जीव-जंतु, मानव, गीत-संगीत, घर-परिवार, मित्र-साथी, दोस्त, लड़का-लड़की, सपने, धुन, भाव-विभाव, चाहत, आशा-निराशा, मौसम, सपने, पशु-पक्षी यानी हर पहलू पर अपनी कलम चलाई है।
ना भूल जाने की कैफियत हूं
ना याद आने का जलजला।
कभी बरसों से पड़ी धूल हूं
कभी रोज का सिलसिला ।।
कवियित्री कहती है-
कभी बात को कभी सवालात को
कभी मुस्कुराहट में छुपे हालात को
समझ जाना मायने रखता है।
भावों की जितनी सरलता, सहजता इन की कविता में है उतनी ही सरलता और सहजता उनकी भाषा में भी है।
उन अधबूनी चाहतों को
मैं यूं आजमाना चाहती हूं।
तेरी अंगुलियों को सहेज कर हाथों में
मैं मुस्कुराना चाहती हूं।।
जैसी सौंदर्य से परिपूर्ण और काव्य से भरपूर इस पुस्तक के काव्य सौंदर्य की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है। 130 पृष्ठों की पुस्तक का मूल्य ₹200 वाजिब है । साफ-सफाई, साज-सज्जा व त्रुटि रहित मुद्रण ने पुस्तक की उपयोगिता में वृद्धि की है।
काव्य साहित्य में कवियित्री अपनी पहचान बनाने में सक्षम होगी। यही आशा है।
© ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”
मोबाइल – 9424079675
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈