श्री संजय भारद्वाज
(श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही गंभीर लेखन। शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं। हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकते हैं। )
☆ संजय दृष्टि – त्रिकालदर्शी ☆
सुनता है
अपनी कहानी,
जैसे कभी
अतीत को
सुनाई थी
उसकी कहानी,
वर्तमान में जीता है
पर भूत, भविष्य को
पढ़ सकता है,
प्रज्ञाचक्षु खुल जाएँ तो
हर मनुज
त्रिकालदर्शी हो सकता है!
# घर में रहें। सुरक्षित और स्वस्थ रहें।
© संजय भारद्वाज, पुणे
प्रात: 9.31 बजे, 9.4.2020
☆ अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार ☆ सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय ☆ संपादक– हम लोग ☆ पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स ☆
जी संजय जी यदि प्रज्ञाचक्षु खुल जायें तो मनुज त्रिकालदर्शी हो सकता है।अत्युत्तम अभिव्यक्ति। ??