मानवीय एवं राष्ट्रीय हित में रचित रचना

श्री संजय भारद्वाज 

(श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही  गंभीर लेखन।  शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं  और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं।  हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक  पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को  संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकते हैं। ) 

एक विनम्र निवेदन – आज के संजय दृष्टी  को आत्मसात करने के पूर्व आप सभी से एक विनम्र निवेदन।  कृपया आदरणीय श्री संजय भारद्वाज जी का संजय उवाच के अंतर्गत 12 अप्रैल 2020 का वीडियो लिंक अवश्य आत्मसात करें। )

☆  संजय उवाच # सत्संगी मित्रो!  ☆

रविवार 12.4.2020 का दिन इस माह के सत्संग और प्रबोधन के लिए नियत था। वर्तमान स्थितियों में प्रत्यक्ष सत्संग संभव नहीं था, अत: यूट्युब के माध्यम से सत्संग को अखंड रखने का प्रयास किया है। आशा है कि आप सब महानुभाव इससे जुड़ेंगे।

वीडियो लिंक >>>>>

संजय उवाच 12 अप्रैल 2020

विनम्र निवेदन है कि विषय प्रेरक लगे तो लाइक देने के साथ-साथ अन्य मित्रों के साथ साझा भी करें।

कृपया घर में रहें। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। ईश्वर पर आस्था रखते हुए नियमित प्रार्थना करते रहें।

सर्वे भवंतु सुखिन:, सर्वे संतु निरामया।

सर्वे भद्राणि पश्यंतु, माकश्चिदु:खभाग्भवेत्।

©  संजय भारद्वाज, पुणे

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☆ संजय दृष्टि  – *समानांतर* ☆

…….???

…..???

…???

पढ़ सके?

फिर पढ़ो!

नहीं…,

सुनो मित्र,

साथ न सही

मेरे समानांतर चलो,

फिर मेरा लिखो पढ़ो..!

 

कृपया घर पर रहें, सुरक्षित रहें।

©  संजय भारद्वाज, पुणे

(दोपहर 3:10 बजे, 15.6.2016)

☆ अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार  सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय  संपादक– हम लोग  पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स 

मोबाइल– 9890122603

[email protected]

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