श्री संजय भारद्वाज
(श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही गंभीर लेखन। शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं। हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकते हैं। )
☆ संजय दृष्टि – अजर ☆
कौन कहता है
निर्जीव वस्तुएँ
अजर होती हैं,
घर की कलह से
घर की दीवारें
जर्जर होती हैं।
# घर में रहें। स्वस्थ रहें।
© संजय भारद्वाज, पुणे
20.9.2018 11.15 बजे
☆ अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार ☆ सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय ☆ संपादक– हम लोग ☆ पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स ☆
सत्यम है नकारात्मकता की ताक़त तबाह करती है और कलह घर में दरारें डाल सकती हैं।घर तो मंदिर है वास्तव में।
धन्यवाद आदरणीय।
कलह ही है जो दिलों और दीवारों तक में दरार डाल देती है, प्रेम की भावना वह जोड़ है जिसका कोई जोड़ नहीं – रचनाकार स्वयंसिद्ध है – अभिनंदन
धन्यवाद आदरणीय।