श्री संजय भारद्वाज
(श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही गंभीर लेखन। शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं। हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकते हैं। )
☆ संजय दृष्टि – विशेषज्ञ ☆
विशेषज्ञ हूँ,
तीन भुजाएँ खींचता हूँ
तीन कोण बनाता हूँ,
तब त्रिभुज नाम दे पाता हूँ..,
तुम क्या करते हो कविवर?
विशेष कुछ नहीं
बस, त्रिभुज में
चौथा कोण देख पाता हूँ..!
# कृपया घर में रहें। सुरक्षित रहें।
© संजय भारद्वाज, पुणे
अपराह्न 1:15 बजे 2.5.2020
☆ अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार ☆ सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय ☆ संपादक– हम लोग ☆ पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स ☆
यह कवि की ही दृष्टि से सभव है कि त्रिकोण में चौथा कोण ढूँढ ले अर्थात अदृष्य को दृश्य बनाने की क्षमता तो कवि में ही होती है।बहुत सुंदर अभिव्यक्ति संजय जी।