श्री संजय भारद्वाज 

(श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही  गंभीर लेखन।  शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं  और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं।  हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक  पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को  संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकते हैं। ) 

आज  इसी अंक में प्रस्तुत है श्री संजय भरद्वाज जी की कविता  “ चुप्पियाँ“ का अंग्रेजी अनुवाद  Silence” शीर्षक से ।  हम कैप्टन  प्रवीण रघुवंशी जी के ह्रदय से आभारी  हैं  जिन्होंने  इस कविता का अत्यंत सुन्दर भावानुवाद किया है। )

☆ संजय दृष्टि  ☆  चुप्पियाँ-8

क्या आजीवन

बनी रहेगी

तुम्हारी चुप्पी?

प्रश्न की

संकीर्णता पर

मैं हँस पड़ा,

चुप्पी तो

मृत्यु के बाद भी

मेरे साथ ही रहेगी!

 

# दो गज की दूरी, है बहुत ही ज़रूरी।

©  संजय भारद्वाज, पुणे

( कविता-संग्रह *चुप्पियाँ* से।)

(प्रातः 9:01 बजे, 2.9.18)

☆ अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार  सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय  संपादक– हम लोग  पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स 

मोबाइल– 9890122603

[email protected]

image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

4 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
अलका अग्रवाल

जीवन में चुप्पी मनन, मंथन व चिंतन का समय देती है।अतः उच्च फलदायी है जबकि मृत्यु के पश्चात तो चुप्पी शाश्वत सत्य है।उत्तम अभिव्यक्ति।

Sanjay k Bhardwaj

विस्तृत प्रतिक्रिया हेतु धन्यवाद आदरणीय।

माया कटारा

संकीर्ण प्रश्न –
रचनाकार ! क्या तुम्हारी यह चुप्पी आजीवन रहेगी ?
हँसकर निरुत्तर कर दिया रचनाकार ने –
मेरी चुप्पी तो मरणोपरांत भी रहेगी –
बड़े गहन उद्गार थे एक सत्यवान रचनाकार के ……
चिरंजीवी रचनाएँ ,रचनाकार को चिरंजीवी ही रखेंगी ।
ऐसे रचनाकार को त्रिवार नमन …

Sanjay k Bhardwaj

विस्तृत एवं चिंतनशील प्रतिक्रिया हेतु धन्यवाद आदरणीय।