श्री संजय भारद्वाज
(श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही गंभीर लेखन। शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं। हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकते हैं। )
संजय दृष्टि – पुनर्वास
(आगामी रविवार को लोकार्पित होनेवाले कवितासंग्रह क्रौंच से)
‘लेखक पुनर्वास मंडल’,
तख़्ती देख
मैं ठठाकर हँस पड़ा,
जो पहले कभी बस सका हो
तब तो पुनर्वास पर चर्चा हो!
© संजय भारद्वाज
(1:15 दोपहर, 2.5.2020)
मोबाइल– 9890122603
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
लेखक बस गया तो फिर ……
तार्किक विवेचन – वास होने के बाद ही तो पुनर्वास की बात हो सकती है
-प्रशंसनीय ……मंगल कामनाएँ