(श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही गंभीर लेखन। शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं। हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकते हैं। )
संजय दृष्टि – हास्यास्पद
हिमखंड की
क्षमता से अनजान,
हिम का टुकड़ा
अपने जलसंचय पर
उछाल मार रहा है,
अपने-अपने टुकड़े को
हरेक ब्रह्मांड मान रहा है,
अनित्य हास्यास्पद से
नित्य के मन में
हास्य उपजता होगा,
ब्रह्मांड का स्वामी
इन क्षुद्रताओं पर
कितना हँसता होगा..!
© संजय भारद्वाज
प्रात: 10:11 बजे, 5.12.2021
मोबाइल– 9890122603
संजयउवाच@डाटामेल.भारत
ब्रह्मांड का स्वामी हमारी इस क्षुद्रता /लघुता पर हँसेगा नहीं तो क्या करेगा ? अपनी लघुता का एहसास तक हमें नहीं होता …… सोदाहरण सटीक व्यंग्याभिव्यक्ति ……..