श्री संजय भारद्वाज
(श्री संजय भारद्वाज जी का साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं। हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुँचा रहे हैं। अब सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकेंगे। )
☆ संजय दृष्टि – महत्वपूर्ण सूचना ☆
दो वर्ष पहले की घटना स्मरण हो आई। हिंदी सिनेमा पर एक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के सिलसिले में 8 -9 सितंबर 2017 को पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में आमंत्रित था। सुबह टहल कर लौटते हुए निकटस्थ बॉयज़ होस्टल-7 की कैंटीन में चाय पीने बैठा। कैंटीन चालक ने अन्न की बर्बादी के विरुद्ध एक बोर्ड लगा रखा है। इस बोर्ड की तस्वीर साझा कर रहा हूँ। सोचता हूँ कि यह बोर्ड छोटे-बड़े रेस्टोरेंट से लेकर घर की डाइनिंग टेबल तक लगा होना चाहिए। स्मरण रहे, आपकी जूठन किसीका भोजन हो सकती थी।
© संजय भारद्वाज, पुणे
☆ अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार ☆ सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय ☆ संपादक– हम लोग ☆ पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स ☆
मोबाइल– 9890122603