यात्रा संस्मरण ☆ न्यू जर्सी से डायरी… 17 ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’
भारत में अच्छे से फ्लैट, बंगले में बाहरी गैलरी में प्रायः अरगनी पर कपड़े सूखते दिखते हैं, क्योंकि वहां कपड़े धूप में प्राकृतिक गर्मी से सुखाए जाते हैं । वहां का मौसम ऐसा होता है ।
यहां किसी के घर में बालकनी में कपड़े सूखते नहीं दिखते , क्योंकि यहां अक्सर मौसम ही नमी भरी हवाओ वाला होता है । इससे यहां लांड्री बिजनेस खूब चल निकला है । ढेर सारी वाशिंग मशीन, और उतने ही ड्रायर लगे हुए हैं । लोग रोज के कपड़े लांड्री बैग में इकट्ठे करते जाते हैं फिर दो चार दिनों में एक बार किसी पास की लांड्री में जाकर दो तीन घंटों में कपड़े, धो सुखाकर ले आते हैं ।
हर स्ट्रीट में ऐसी कई लांड्री सहज दिखती हैं ।
भारत में भी कोई स्टार्टअप यह बिजनेस खड़ा करे तो शायद चल निकलेगा ।
कम ही लोगों के घरों में ही वाशिंग और ड्रायर मशीनें व्यक्तिगत होती हैं, जगह और इन्वेस्टमेंट दोनो की बचत, बेटे के घर पर दोनो ही मशीनें लगी हैं, इतना ही नहीं लाक डाउन की अवधि में जब श्रीमती जी को खुद कपड़े धोने सुखाने की नौबत आई तो बेटी ने आन लाइन सेमसंग का ड्रायर ही भेज दिया था तो अब वे भी धोकर कपड़े सीधे अलमारी में ही रखा करती हैं।
विवेक रंजन श्रीवास्तव, न्यूजर्सी
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
विवेक रंजन श्रीवास्तव, न्यूजर्सी के यात्रा संस्मरण रोचक एवं ज्ञान वर्धक है.