यात्रा संस्मरण ☆ न्यू जर्सी से डायरी… 18 ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’
न्यूयार्क में इंडिया – पेट में अखंड भारत की पुनर्स्थापना
भारत ही नहीं विदेशों में भी समान धार्मिक वैचारिक परिवेश के लोगों का ध्रुवीकरण देखने मिलता है. कम से कम बसाहट में । यह ध्रुवीकरण किसी हद तक नैसर्गिक मानवीय व्यवहार है.
मैं यहां न्यूयार्क में देखता हूं, क्वींस एरिया जैक्सन हाइट्स एरिया में या न्यूजर्सी में मिनी इंडिया क्षेत्र में बांग्लादेश, पाकिस्तान, भारत के लोग बड़ी तादाद में बसे हुए हैं.
इसी इंडियन डायसपोरा को मोदी जी ने अपनी विदेश यात्राओं में अपना हथियार बना कर भारत की ताकत के रूप में प्रस्तुत करना शुरू किया है.
न्यूयार्क में इन क्षेत्रों में बसे भारत में “अपना बाजार”, डी मार्ट, “पटेल ब्रदर्स” भारतीय सामानो का मार्ट, पान की दुकानें बहुतायत में हैं, किचन से लेकर उपयोग का हर भारतीय सामान मिलता है.
भारतीय मिठाई, चाट फुल्की सहजता से सुलभ है.
यहां ऐसा लगता है कि मानो न्यूयार्क में सार्क देश बसे हुये हैं. पाकिस्तान, बांग्लादेश के लोग भी उसी आत्मीयता से मिलते बातियाते हैं, हमने एक पाकिस्तानी रेस्त्रां में जर्सी में बढ़िया गरमा गरम समोसे खाए.
बंगला देशी फुसकी का मजा जैक्सन हाइट्स एरिया में लिया. लगा सारा अखंड भारत ही उदर में पुनर्स्थापित कर लिया हो.
बिना अंग्रेजी बोले भी इन क्षेत्रों में सारे काम किए जा सकते हैं.
खैर, यह मानवीय प्रवृत्ति है, वहां भारत में हम विदेशी कांटिनेंटल फूड ढूंढते हैं और यहां भारतीय भोजन मिल जाए तो धन्य हो जाते हैं.
विवेक रंजन श्रीवास्तव, न्यूजर्सी
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈