यात्रा संस्मरण ☆ न्यू जर्सी से डायरी… 22 ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’
हेलो हेलोवीन
पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके सुस्मरण के लिए पितृ पक्ष के १५ श्राद्ध दिवस भारत में मानने की परंपरा है ।
यहां पूर्वजों के प्रति सम्मान प्रगट करने अक्तूबर माह के अंतिम रविवार को हेलोवीन त्यौहार मनाया जाता है. जहां अन्य त्यौहारों में नए-नए कपड़े पहनते हैं, वहीं हेलोवीन में लोग ऐसे कपड़े और मेकअप करते हैं जिससे वो डरावने लगें. शायद मृत्यु से भय मिटाने के संस्कार इस बहाने पीढ़ी दर पीढ़ी दिए जाते हैं ।
बाजारवाद ने हेलोवीन को चमक धमक दे रखी है , डरावने तरीके से घर की बाहर भीतर साज सज्जा लाइटिंग आदि काफी पहले से की जा रही है । हेलोवीन थीम पार्टियां आयोजित की जाती हैं । हेलोवीन नाइट के बाद दूसरे दिन आल सैंट्स डे मनाया जाता है। पूर्वजों की आत्मा की शांति हेतु मनाए जाने वाले हेलोवीन की सजावट घरों में होने लगी है , दुकानों में भूत , स्केलेटन , डरावनी सजावट , चाकलेट , केक और असली , नकली कद्दू खूब बिक रहे हैं।
तरीका भिन्न हो सकता है किंतु पूर्वजों का स्मरण उनकी शांति की प्रार्थना हमारे उनसे जुड़ाव का प्रतीक है ही ।
विवेक रंजन श्रीवास्तव, न्यूजर्सी
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈