शिक्षक दिवस विशेष
श्री संजय भारद्वाज
(श्री संजय भारद्वाज जी का साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं। हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुँचा रहे हैं। अब सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकेंगे। )
शिक्षको बोधकोश्चैव षडेते गुरवः स्मृताः।
प्रेरणा देनेवाले, सूचना या जानकारी देनेवाले, सत्य का भान करानेवाले, मार्गदर्शन करनेवाले, शिक्षा देनेवाले, बोध करानेवाले- ये सभी गुरु समान हैं।
मेरे माता-पिता, सहोदर, शिक्षक, संतान, साथी, पाठक, दर्शक, शत्रु, मित्र, आलोचक, प्रशंसक हर व्यक्ति मेरा शिक्षक है। जीवन के विभिन्न पड़ावों पर विभिन्न पहलुओं का ज्ञान देनेवाले सभी गुरुजनों को नमन।
शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
© संजय भारद्वाज, पुणे
☆ अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार ☆ सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय ☆ संपादक– हम लोग ☆ पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी
मोबाइल– 9890122603