श्री अजीत सिंह
(हमारे आग्रह पर श्री अजीत सिंह जी (पूर्व समाचार निदेशक, दूरदर्शन) हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए विचारणीय आलेख, वार्ताएं, संस्मरण साझा करते रहते हैं। इसके लिए हम उनके हृदय से आभारी हैं। आज प्रस्तुत है अविस्मरणीय संस्मरण ‘पुस्तक दिवस पर एक पुस्तक प्रेमी की याद…’। हम आपसे आपके अनुभवी कलम से ऐसे ही आलेख समय समय पर साझा करते रहेंगे।)
☆ संस्मरण ☆ पुस्तक दिवस पर एक पुस्तक प्रेमी की याद… ☆ श्री अजीत सिंह ☆
परिजनों, मित्रों आदि से बातचीत के लिए तो अनेकों संपर्क साधन आ गए हैं, पर अपने शहर की जीवनधारा का पूर्ण परिचय, खास तौर पर अनजान व्यक्तियों की दिल छूने वाली कहानियां, तो अखबार से ही मिल पाती है।
कुछ ऐसी ही कहानी हिसार की प्रसिद्ध वर्मा न्यूज एजेंसी के मालिक प्रभुदयाल वधवा की है, जो यूं तो इन दिनों कनाडा के शहर टोरंटो में परिवार से अलग वैरागी जीवन बिता रहे हैं, पर हिसार को वे भूल ही नहीं पाते। बाहर जाने पर घर की याद कुछ ज़्यादा ही आती है।
शहर और यहां के लोगो का हाल जानने के लिए वे सांध्य दैनिक नभ छोर का ई संस्करण ज़रूर पढ़ते हैं। समाचार पत्र का लिंक उन्हे मित्र दीपक वधवा की तरफ से कनाडा में बड़े सवेरे मिलता है। वधवा जी को किसी का लेख अच्छा लगे तो नंबर ढूंढ कर उन्हे फोन करते हैं और लंबी बात करते हैं।
प्रभुदयाल वधवा से मेरी मुलाक़ात भी नभ छोर में पितृ दिवस, फादर्स डे, पर प्रकाशित …. तीन लकीरें, तीन वचन, पिता के नाम… शीर्षक के मेरे लेख के माध्यम से हुई जिसके अंत में मेरा फोन नंबर दिया गया था। उन्हे लेख पसंद आया, फोन मिलाया और लेख की प्रशंसा के बाद अपने पिता से जुड़े बचपन के किस्से भी सुनाने लगे।
कहने लगे राजनैतिक नेताओं की खबरें उन्हे पसंद नहीं हैं। वे फीचर और साहित्यिक समाचार पसंद करते हैं। उन्हे ऐसे लेख खास तौर पर पसंद है जो आम आदमी की बात करते हैं और लेखन का स्टाइल साहित्यिक होता है।
नभ छोर में प्रकाशित मेरे कई लेखों का उन्होंने हवाला दिया। कमलेश भारतीय द्वारा प्रमोद गौरी व अन्य परिचितों व अपरिचितों के इंटरव्यू का ज़िक्र किया।
उनका मानना है कि वर्मा न्यूज एजेंसी ने हिसार के लोगों के जीवन में शिक्षा और साहित्य के के प्रति रुचि पैदा करने में उल्लेखनीय योगदान किया है।
वधवा हर साल एक या दो बार हिसार आते हैं। एजेंसी का काम अब उनकी बेटी कुमारी वीना देखती हैं जो एक सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं।
वधवा के पास भारत और कनाडा दोनों देशों की नागरिकता है। कनाडा में सरकार उन्हे बुढ़ापा पेंशन देती है और उन्हें सरकार की तरफ से ही एक रिहायशी मकान भी मिला हुआ है। वहां भी वे नई पुरानी किताबों का ही कारोबार करते हैं । टोरंटो की फ्ली मार्केट में, जो केवल शनिवार और रविवार को ही लगती है, वहां उन्होंने एक दुकान ली हुई है। उनके पास विभिन्न विषयों की लगभग 50 हज़ार पुस्तकें हैं। 40, कार्ल हॉल रोड, टोरंटो स्थित यह दुकान भी वर्मा एजेंसी हिसार के नाम से जानी जाती है।
“मैं बिना पैसे के कारोबार करने वाला व्यापारी हूं। व्यापार पैसे से नहीं, ज़ुबान से होता है।
बिजनेस को मैंने सेवा समझ कर किया है, और अच्छा चला है। अगर कोई पाठक किसी पुस्तक की मांग करता है तो मैं दुनिया के किसी भी हिस्से से उसे वह पुस्तक लाकर दूंगा, चाहे इसमें मुझे घाटा ही उठाना पड़े”।
1947 में भारत विभाजन के बाद प्रभुदयाल वधवा का परिवार रेवाड़ी में आकर बसा। उस समय उनकी उम्र दो साल की थी। पढ़ाई और कारोबार के सिलसिले में वे जालंधर, दिल्ली और हिसार होते हुए बरसों पहले कनाडा पहुंचे। पुस्तक प्रेम जो बचपन में मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास गोदान से शुरू हुआ था, साथ ही चल रहा है। रेवाड़ी और दिल्ली में उनका आशा पब्लिकेशन नाम से पब्लिशिंग हाउस हुआ करता था जो अब बन्द हो चुका है।
“पुस्तकों में आपकी हर समस्या का हल है। मुझे जब कोई समस्या घेरती है तो श्री गुरु ग्रंथ साहिब पढ़ता हूं। मुझे समाधान मिल जाता है”।
वधवा गुरुद्वारों में शबद कीर्तन के लिए भी जाते हैं। वे कई साल गुरुद्वारे में पाठी का काम भी करते रहे।
मेडिकल कॉलेज रोहतक के सुप्रसिद्ध प्रोफेसर डॉ विद्यासागर का उदाहरण देते हुए वधवा कहते हैं, मदद करनी हो तो अनजान की करो, स्लिप लेकर आने वाले की नहीं”।
उनका परिवार अमरीका में विभिन्न शहरों में रहता है पर वे सबसे अलग कनाडा के टोरंटो शहर में वैराग्य जीवन बिता रहे हैं , पुस्तक प्रेम और जनसेवा को लेकर।
“मैं समझौता नहीं करता। जो मेरी आत्मा कहती है, वही करता हूं”।
वे कृष्णमूर्ति और ओशो के अध्यात्म से प्रभावित हैं और कबीर के मुरीद हैं। कबीर का एक दोहा उनका ध्येय वाक्य जैसा है:
कबीरा गृह करै तो धर्म कर,
नहीं तो कर बैराग।
बैरागी बन्धन करै,
ताको बड़े अभाग।।
नभ छोर के प्रधान संपादक ऋषि सैनी को वे ज़मीन से जुड़ा, दमदार स्वनिर्मित इंसान मानते हैं जिसके कारण यह सांध्य दैनिक बड़े बड़े समाचार पत्रों के सामने खड़ा है।
“नभ छोर मुझे रोज़ाना हिसार के बदलते जीवन का परिचय कराता है। दुनिया देखने की चाह और रोज़गार हमें कहां ले आया पर दिल अभी भी हिसार और वर्मा न्यूज एजेंसी में अटका है। नभ छोर मेरे दिल की डोर है”।
© श्री अजीत सिंह
पूर्व समाचार निदेशक, दूरदर्शन
(लेखक श्री अजीत सिंह हिसार स्थित स्वतंत्र पत्रकार हैं । वे 2006 में दूरदर्शन केंद्र हिसार के समाचार निदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुए।)
संपर्क: 9466647037
≈ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈