डॉ निधि जैन 

डॉ निधि जैन जी  भारती विद्यापीठ,अभियांत्रिकी महाविद्यालय, पुणे में सहायक प्रोफेसर हैं। आपने शिक्षण को अपना व्यवसाय चुना किन्तु, एक साहित्यकार बनना एक स्वप्न था। आपकी प्रथम पुस्तक कुछ लम्हे  आपकी इसी अभिरुचि की एक परिणीति है। आपका परिवार, व्यवसाय (अभियांत्रिक विज्ञान में शिक्षण) और साहित्य के मध्य संयोजन अनुकरणीय है। आज प्रस्तुत है  आपकी एक अतिसुन्दर भावप्रवण कविता  “महात्मा गांधी”।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆निधि की कलम से # 21 ☆ 

☆ महात्मा गांधी

 

हर आत्मा की जान, मेरे कंठ से कैसे करूँ उनका गुणगान,

मेरे शब्द छोटे, बात बड़ी, महात्मा जिनका नाम।

 

आजादी का रास्ता दिखला, कर खुद को कुर्बान,

साबरमती का संत, बापू जिनका नाम,

सत्य अहिंसा का पाठ पढ़ाया, कर खुद को कुर्बान,

युगों युगों तक सदा रहेगा, अमर जिनका नाम,

हर आत्मा की जान, मेरे कंठ से कैसे करूँ उनका गुणगान,

मेरे शब्द छोटे, बात बड़ी, महात्मा जिनका नाम।

 

कद में छोटे, बात बड़ी करते, कर्म जिनका महान,

खादी, चरखा, सत्याग्रह जिनकी पहचान,

आँखों की ऐनक और खादी जिनकी जान,

जात-पात की तोड़ दी जंजीरे, वैसे बापू महान,

हर आत्मा की जान, मेरे कंठ से कैसे करूँ उनका गुणगान,

मेरे शब्द छोटे, बात बड़ी, महात्मा जिनका नाम।

 

आओ इस दिवस पर एक हो जाएँ हम,

अपने आप को अपने आप से ऊपर उठाएँ हम,

कॉलेज की भूमि को स्वच्छ बनाएँ हम,

एक नया इतिहास रचाएँ हम,

हर आत्मा की जान, मेरे कंठ से कैसे करूँ उनका गुणगान,

मेरे शब्द छोटे, बात बड़ी, महात्मा जिनका नाम।

 

©  डॉ निधि जैन,

पुणे

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

image_printPrint
5 1 vote
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments