डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं “भावना के दोहे ”। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 66 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे ☆
संकल्पों की साधना,
देती है विश्वास।
शांत भाव की कामना,
हृदय जगाती आस।
रचते रचते रच गये,
मेरे मन के गीत
मन की सारी वेदना,
मन का है संगीत।
अंतर्मन की वेदना,
समझ सका है कौन।
जीवन में जो खास है,
वही आज है मौन।
कोरोना के काल में,
घर-घर कारावास।
है स्वतंत्र तन-मन-लगन
देखो सबके पास ।।
स्वप्न हवाई हो रहे,
चितवन भरे उड़ान।
मन उमंग में बावरा,
हर पल से अनजान।।
गौतम जिनका नाम है,
कहलाए वे बुद्ध।
गूढ़ ज्ञान के पारखी,
करते नमन प्रबुद्ध।।
© डॉ.भावना शुक्ल
सहसंपादक…प्राची
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