प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
( आज प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी की रोटरी क्लब के लिए एक काव्यात्मक प्रस्तुति अनवरत सेवा हमारे क्लब की जान है। हमारे प्रबुद्ध पाठक गण प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी काव्य रचनाओं को प्रत्येक शनिवार आत्मसात कर सकेंगे। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ काव्य धारा # 16 ☆
☆ अनवरत सेवा हमारे क्लब की जान है ☆
अनवरत सेवा हमारे क्लब की जान है
क्योकि सेवा ही सही इंसान की पहचान है
दीन दुखियो में ही रहता है कहीं भगवान भी
सार हर एक धर्म का बस त्याग ,तप, व्रत , दान है
अनवरत सेवा हमारे क्लब की जान है
आये दिन नई आग में जलता विवश संसार है
हर घाव को भरता जो , वो , केवल प्यार है
दवायें तो बिकती हैं कई यों सभी बाजार में
स्नेह ही लेकिन समस्या का सही उपचार है
अनवरत सेवा हमारे क्लब की जान है
जी रहे जो लोग जन जन की खुशी के वास्ते
द्वार से उनके ही मिलते प्रेम के कई रास्ते
निस्वार्थ सेवा सात्विक हो धर्म का उपदेश है
कुछ न कुछ सेवा हमें करनी है हर दिन याद से
अनवरत सेवा हमारे क्लब की जान है
स्वस्थ तन मन और धन भगवान का वरदान है
औरो का हित करने में सुख शांति जग कल्याण है
विश्व सेवा व्रत लिये सर्वस्व सेवा के लिये
विश्व व्यापी संगठन का यह सतत अभियान है
अनवरत सेवा हमारे क्लब की जान है
आदमी दुनियां में दो दिन का ही मेहमान है
जुटाता पर हर तरह सौ साल का सामान है
पर सामाजिक हित हो जिससे, हर किसी को लाभ हो
रोटरी इस पर अमल करते, क्लब को यही अभिमान है .
अनवरत सेवा हमारे क्लब की जान है
© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
ए १ ,विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈