श्री श्याम खापर्डे 

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है जिंदगी की हकीकत बयां करती एकअतिसुन्दर कविता “नयी सदी का सूरज”) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 24 ☆ 

☆ नयी सदी का सूरज ☆ 

नयी सदी का सूरज निकला

दूर हुआ है अंधेरा

कली कली बन फूल खिल गई

महकें है उपवन सारा

पंछी कैसे चहक रहे हैं

भ्रमर रस पीकर बहक रहे हैं

यौवन के मद में डूबे

दो प्रेमी देखों

लहक रहे हैं

नयी उमंगे हैं

नयी तरंगें हैं

नयी सोच है

सपनें रंग बिरंगे हैं

आंखों में एक उम्मीद बंधी है

दिल में एक आशा जगी है

फूल ही फूल खिलेंगे अब तो

सपनों की झड़ी लगी है

घनघोर अंधेरे से निकले है

हिमखंड अभी नहीं पिघले है

दूषित हवायें बह रही है

भयभीत करती कह रही है

खतरा अभी टला नहीं है

मास्क के बिना भला नहीं है

दो फीट की दूरी है जरूरी

‘कोविड’ ने कौन है जिसको

छला नहीं है

मित्रों,

यह ऐसा नववर्ष हो

सबके चेहरे पर हर्ष हो

सच हो जाये सबके सपने

हम सबका उत्कर्ष हो

 

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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