प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
(आज प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी की एक भावप्रवण कविता “किसी पावन तत्व से है भरा यह ब्रह्मांड सारा“। हमारे प्रबुद्ध पाठक गण प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी काव्य रचनाओं को प्रत्येक शनिवार आत्मसात कर सकेंगे। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ काव्य धारा # 25 ☆
☆ किसी पावन तत्व से है भरा यह ब्रह्मांड सारा ☆
किसी पावन तत्व से है भरा यह ब्रह्मांड सारा
इसी की नियमित कृपा से चल रहा जीवन हमारा
आज पर बढ़ते करोना कष्ट से सब डर रहे हैं
लोग कितने विश्व में उपचार के बिन मर रहे हैं
स्वार्थी संसार का जनहित विरोधी आचरण है
विचारों और कर्म से दूषित सकल वातावरण है
नाम सेवा का बताकर हो रहा है स्वार्थ साधन
इसी अनुचित नीति कर रखा तन मन धन अपावन
शुद्धता शुचिता सरलता का अनादर दिख रहा है
इसी से दुख से भरा इतिहास यह युग लिख रहा है
आज जग को प्रेम और विश्वास का व्यवहार चहिए
त्रस्त जीवन को परस्पर शांति सुख हित प्यार चहिए
किंतु सीधी राह को तज हर एक बढ़ता जा रहा है
इसी से जाता जहां भी वहां पर टकरा रहा है
आए दिन जाता उलझता दुखों से यह जग अकारण
प्रदूषित मन बन गया है सब दुखों का प्रमुख कारण
© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
ए १ ,विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈