सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा
(सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी सुप्रसिद्ध हिन्दी एवं अङ्ग्रेज़ी की साहित्यकार हैं। आप अंतरराष्ट्रीय / राष्ट्रीय /प्रादेशिक स्तर के कई पुरस्कारों /अलंकरणों से पुरस्कृत /अलंकृत हैं । सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी का काव्य संसार शीर्षक से प्रत्येक मंगलवार को हम उनकी एक कविता आपसे साझा करने का प्रयास करेंगे। आप वर्तमान में एडिशनल डिविजनल रेलवे मैनेजर, पुणे हैं। आपका कार्यालय, जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है।आपकी प्रिय विधा कवितायें हैं। आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “औरत”। )
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☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी का काव्य संसार # 78 ☆
जिसने तुम्हें जनम दिया
इबादत करो उस औरत की
जिसने तुम्हें संग दिया
मोहब्बत करो उस बेटी को
जिसने तुम्हारा नाम किया
दुआ करो उस औरत के लिए
जो तुम्हारे साथ काम किया
देखो जब कोई भी औरत को तो सोचो
किन-किन पहाड़ों को उसने लांघा है
कैसे तिनके-तिनके को इकठ्ठा कर
उसने अपने जीवन को बांधा है
आरज़ू नहीं कि तुम साथ चलो-
बहुत है तुम्हारा याद करना ही!
देखो, उसे – उसे कोई गुमान नहीं!
अभी तो इस औरत को पर खोलना है,
‘गर तुम्हारी आँखों में सुकून होगा-
गुरुर होगा उसे अपनी उड़ान पर भी!
© नीलम सक्सेना चंद्रा
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≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
औरत की महत्ता दर्शाती उत्कृष्ट रचना धर्मिता बधाई अभिनंदन अभिवादन आदरणीया श्री।