श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है महामारी कोरोना से ग्रसित होने के पश्चात मनोभावों पर आधारित एक अविस्मरणीय भावप्रवण कविता “# छूकर चली गई #”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 37 ☆
☆ # छूकर चली गई # ☆
हर लम्हा,हर पल,
मेरी किस्मत छली गई
मौत भी आई थी
बस छूकर चली गई
मेरे अपने रो रहे थे
हालत को देखकर
मेरी सांसे नहीं रूकी
बस चलती ही चली गई
चारों तरफ अजीब सा
डरा रहा था सूनापन
जैसे किसी अजीज़ की
अर्थी चली गई
शवदाह गृह सजे हुए थे
वीरान था हर शहर
मौत चरम पर थी
जिंदगी सिमटती चली गई
बिखर गए कितने आशियाने
टूट गये कितने परिवार
बिलख रहे हैं आश्रित
उनकी छत्रछाया चली गई
ना जाने कितनी लहरें
अभी आना बाकी है
“श्याम” यह तो दूसरी है
पहली आई और चली गई
© श्याम खापर्डे
14/05/21
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